Amar Bharat in Hindi (Immortal India Life Feeling)
Amish Tripathiआज भी भारतीय संस्कृति, हमारी प्रथाएं, रीतियां, नायक, कहानियां, दर्शन, भोजन की आदतें और दुनिया के प्रति हमारा नज़रिया किसी हद तक हज़ारों साल पुरानी अवधारणाओं पर आधारित है जो वैदिक युग और हिंदुत्व, बौद्ध एवं जैन मतों पर आधारित हैं। पिछली दो सहस्त्राब्दियों में अनेक प्रभावों के संगम ने इसे और अधिक समृद्ध बनाया है।
इस्लाम और ईसाई धर्म भले ही पश्चिम से आए हों, मगर उन्हें भी बहुत बारीकी से भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति के ताने-बाने में बुन लिया गया है। अपने सारे इतिहास में हमने दुनिया भर के दमितों को शरण प्रदान की है; और इसलिए कोई हैरानी नहीं है कि अन्यों के साथ पारसी और यहूदी धर्म ने भी यहां सुरक्षित आवास पाया। हम शायद ही कभी शून्यवादी रहे होंगे; हम हमेशा से सहवर्धी रहे हैं।
हमारे प्राचीन धार्मिक दर्शनों पर आधारित नए सुधारों से भरे सिख पंथ को देखें। इस पुस्तक में अपने लेखों और वक्तव्यों के जरिए मैंने इक़बाल के सवाल का जवाब देने की कोशिश की है। वह क्या बात है जो भारत को ख़ास बनाती है? हमारी प्राचीन संस्कृति में ऐसा क्या है जो अभी भी हमें बताता है कि हम आज कैसे रहें? अपने पूर्वजों से हम क्या सीख सकते हैं? और उतना ही महत्वपूर्ण यह कि हम किस रूप में अपने पूर्वजों की आलोचना कर सकते हैं?
भारत के सामने मौजूद आधुनिक मुद्दों को मैं जिस तरह से देखता हूं, उसे मैंने इन सभी सवालों और जवाबों के ज़रिए स्पष्ट करने की कोशिश की है। क्योंकि हम अपेक्षाकृत रूप से सत्तर वर्ष के युवा देश हैं। मगर हमारे राष्ट्र की आत्मा युगों पुरानी संस्कृति है। अधिकांश मानव इतिहास में, जब हमारे पूर्वज दुनिया के फ़लक पर हावी थे, तब भारत पृथ्वी के सबसे शक्तिशाली, समृद्ध, उदार और प्रगतिशील राष्ट्रों में से था।
हमारी कुछ सदियां बुरी बीती थीं। ऐसा होता है। घृणित जाति प्रथा जैसे अनेक भ्रष्ट आचरण भी इसमें उतर आए। हमारे लिए यह समय है कि हम अपने पूर्वजों से सीखें, कोल्हू में ख़ुद को जोत दें और इस देश को एक बार फिर इसके इतिहास के योग्य बनाएं। यह सब कहने के बावजूद, यद्यपि मैं उस लंबे मार्ग के प्रति जो एक देश के रूप में हमें अभी तय करना है, और आज के भारत में अनेक बातों पर सवाल करने की ज़रूरत के प्रति सचेत हूं, मगर इससे यह सच नहीं झुठलाया जा सकता कि मुझे भारतीय होने पर बहुत फ़ख़ है।
दुनिया में ऐसी कोई और जगह न
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